राष्ट्रपिता महामना ज्योतिबा फुले आधुनिक भारत में सामाजिक क्रांति के जनक माने जाते हैं। वे पिछड़ी जाति के माली परिवार के सदस्य थे जिस कारण उन्हें स्कूल से निकाला गया था। सन 1841 में उन्होंने गफ्फार वेग मुंशी नामक अफसर की मदद से दुबारा क्रिश्चन मिशनरी स्कूल में प्रवेश लिया और 1847 में सातवीं पास की। वे शिवाजी और जार्ज वाशिंगटन से काफी प्रभावित थे। इनकी महानता इस बात से आंकी जा सकती है कि महज सातवीं कक्षा पास ज्योतिबा को महानतम भारतीय और ज्ञान के प्रतीक भारत रत्न बाबासाहेब डॉ भीमराव आंबेडकर ने इन्हें अपना गुरु माना था। बाबासाहेब ज्योतिबा फुले के शिक्षा नीतियों के आलोक में मुम्बई विधान् परिषद के सदस्य रहते हुए प्राथमिक शिक्षा और विश्वविद्यालयी शिक्षा संशोधन बिल प्रस्तुत किया था।
महामना के अमूल्य योगदान को निम्नलिखित रूप में जाना जा सकता है:-
1.ज्योतिबा फुले पहले भारतीय थे जिन्होंने 1848 में बालिकाओं और 1851 में दलितों के लिए शिक्षा का प्रबंध किया था। इस पर उन्हें काफी विरोध का सामना करना पड़ा था। मनुवादियों के दबाव में उन्हें घर निकाला गया था।
2. वे नारी शिक्षा के हीरो के रूप में उभरे थे।
3. उनके अनुसार बहुजनों के सारी दुर्गती की जड़ अशिक्षा, अज्ञानता व अविद्या है।
4. उन्होंने अनिवार्य मुफ्त प्राथमिक शिक्षा की सरकार से मांग की थी।
5. ज्योतिबा फुले ने किसानों की हालत को सुधारने के लिए सरकार से मुफ्त खाद और बीज देने की मांग की थी। वे किसान क्रांति के भी प्रतिक थे।
6. वे पहले सामाजिक क्रांतिकारी थे जिन्होंने ब्राह्मणवाद से सामना करने हेतु दलित-पिछड़े वर्ग की जनसँख्यानुपात में नौकरियों में आरक्षण की मांग ब्रिटिश सरकार से की थी।
7. वे सभी ज़ाति की विधवाओं की नारकीय स्थिति को अनुभूत कर उनकी दशा सुधारने की दिशा में कार्य करने वाले पहले भारतीय थे।
8. ज्योतिबा फुले पहले भारतीय थे जिन्होंने पैतृक पुरोहिताई की परंपरा की समाप्ति के लिए सन 1873 में *सत्यशोधक समाज* के माध्यम से अभियान चलाया। यह उनका ब्राह्मणवाद पर घातक हमला था।
9. सत्यशोधक समाज के संघर्ष का ही परिणाम है कि आज प्रत्येक रविवार को कार्यालयों में अवकाश रहता है। यह 1889 से लागू हुआ था।
10. वे ब्राह्मणी शास्त्रों , व्यस्थाओं और परंपराओं में विश्वास नहीं करते थे।
11. ज्योतिबा मूर्तिपूजक नहीं थे। वे प्रकृति में विश्वास करते थे।
12. उन्होंने कई पुस्तकों की रचना की है जिसमे किसान का कोड़ा और गुलामगिरी प्रसिद्ध है।
13. उनका मानना था कि बहुजन समाज की सारी जातियां एक ही माँ बाप की संतान हैं। ब्राह्मणवादियों ने ज़ाति बना कर हमें बांट दिया है, अब फिर से हमें एक होने की ज़रूरत है।
14. ज्योतिबा फुले और उनकी जीवनसंगिनी शिक्षामाता सावित्री बाई फुले भारत के पहले दम्पति थे जिन्होंने मिल कर सामाजिक क्रांति का मूवमेंट चलाया।
15. उनका मानना था की अंग्रेजो ने हमारे शरीर को गुलाम बनाया किन्तु ब्राह्मणवाद ने हमारे मन को ही गुलाम बना डाला है। अतः ब्रह्मणवाद की खात्मा के लिए ब्राह्मणी पर्व, परम्परा और शास्त्रों की ज़ंज़ीर से मुक्त होने के लिए स्वयं आगे बढ़ कर प्रयास करना होगा।
आज भी ज्योतिबा फुले प्रासंगिक हैं, इनके मिशन को आगे बढ़ना हमारा मिशन होना चाहिए।