
3 जून 1995 सामाजिक परिवर्तन दिवस

3 जून 1995 को इन सपनों को अमली जामा पहना दिया गया और बहुजन समाज की आकांक्षाओ की प्रतीक बहन कुमारी मायावती देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की मुख्यमन्त्री बनी। यह पिछ्ले कई सौ साल की विलक्षण घटना थी जब बौद्ध समाज ने राजसत्ता को पुनः अपने हाथो में लिया। पुरे देश में ख़ुशी व् उत्सव के माहौल में बहुजन समाज अब कभी न मुड़कर देखने के लिए अपनी ऐतिहासिक मंजिल की तरफ कदम बढ़ा चुका था। बाबा साहेब ने 29 नवम्बर 1949 को नानकचन्द रट्टू से जो कहा था अब रानी के पेट से नही बल्कि बैलट बॉक्स से शासक पैदा होंगे और महलो वाले सड़को पर व् सड़को वाले महलो में नजर आयेंगे। 3 जून 1995 को यह सही सिद्ध हुआ, जब बहनजी ने जाति व्यवस्था की दो सबसे बड़ी शिकार पहचानो ( जाति एवं महिला ) के साथ सभी जातिवादी मनुवादियों के मंसूबो को कांशीराम जी के नेतृत्व में नेस्तनाबूद करते हुए पुरे बहुजन समाज को सम्मान के शिखर पर पहुँचा दिया। 1947 के बाद पहली बार बहुजन समाज ने शायद पहली बार महसूस किया की उत्सव उल्लास एवं खुसी की होती है I जो लोग उस एतिहासिक अवसर के साक्षी रहें है वास्तव में वाही उस अवसर की सर्र्थाकता एवं एतिहासिकता को महसूस कर सकते है I मैं उस समय जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञानं में एम ए कर रहा था I पिछले कई दिन से सभी साथी बैचैन थे लेकिन तीन जून की रात को सभी साथी पूरी रत सोये नहीं और इकट्ठा होकर खुशी मानते रहे I जैसे देशभर में सामाजिक परिवर्तन की बयार चलने लगी। राजाओ का तिलक अपने उलटे पॉँव की अंगुली से करने का अहंकार पालने वाले दुर्बुद्धि, बहन जी के पैरो की धूल अपने माथे पर लगाकर अपने जीवन को सफल बनाने के लिए दण्डवत हुए जाते थे। मानो लोकतान्त्रिक संविधान अपने होने का पहला सार्थक उत्सव मना रहा था। इसके बाद तीन बार और बसपा ने बहनजी के नेतृत्त्व में उत्तर प्रदेश में अपनी सरकार बना कर सदी से चले आ रहे सामाजिक गुलामी के दुष्चक्र को तोड़ दिया।अपने सफल कुशल शासक होने का प्रतिमान स्थापित करके मनुवादी दुष्प्रचार को हमेशा के लिए पंक्चर कर दिया I जो आंदोलन बहुजन समाज को सम्मान होंसला एवं सत्ता दिलाने के लिए शुरू हुआ था वर्तमान में केंद्र में बहनजी के नेतृत्व में सरकार बना कर उसको इसकी तार्किक मंजिल तक पहुचना चाहता हैं। जिस समाज को शिक्षा, सम्मान, संपत्ति और शस्त्रों से वंचित होकर हजारो साल तक युद्ध बंदी के रूप में तमाम यातनाये व् आमानवीय अत्याचारों को सहना पड़ा, उसने कभी भी जातिवादी सांस्कृतिक साम्राज्यवाद के प्रदुषण की गुलामी को स्वीकार नही किया और अपनी स्वतंत्र, मानवतावादी बौद्धिक पहचान को सतत अक्षुण बनाये रखा I बहुजन समाज अपने इसी लोकतान्त्रिक नेतृत्व में भारत को प्रबुद्ध लोकतंत्र बनाने के लिए द्रढ़ता से आगे बढ़ रहा है यही आन्दोलन विभिन्न रूप में सामाजिक परिवर्तन, समतामूलक समाज, लोकतान्त्रिक सरकार व् मजबूत राष्ट्र की बुनियाद को पक्का कर रहा है I अगर बहुजन समाज बहनजी को देश का प्रधानमंत्री बनाने में सफल होता है तो यह उसकी राजनैतिक सफलता एवं बड़ी उपलब्धि माना जायेगा I
सही मायनो में आज का दिन 3 जून सामाजिक परिवर्तन दिवस हैं आप सभी साथियों को इस अवसर पर हार्दिक मुबारकबाद I
