गुरुनानक देव जी की जीवनी के कुछ अंश
गुरुनानक देव जी सिखो के दस गुरूओ मे से पहले गुरू थे ,गुरुनानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल 1469 मे ननकाना साहिब,पंजाब,पाकिस्तान मे माता तरीपता, पिता कालू जी के घर हुआ था।
गुरुनानक देव जी ने 14 साल मेहनत कर के खेती की यानी किरत कर के अपना परिवार की देखभाल की ओर उस के बाद सारी दुनिया मे जा कर प्यार,सच्चाई का संदेश दिया जिस कारण आज हर वर्ग का व्यक्ती गुरुनानक देव जी को प्यार करता है ओर उन के बताए हुए रास्ते पर चलता है।
गुरुनानक देव जी जिस किसी गाँव मे जाते लोग उन की तन मन से सेवा करते ओर कुछ एक गांव वाले ना तो उन का सम्मान करते ओर ना ही उन की सेवा करते ,गुरुनानक देव जी जिस गांव के लोग उन का बहुत आदर करते उन की सेवा करते उस गांव के लोगो को शराप देते की तुम सारे ऊजड जाऊ।
ओर जिस गांव मे के लोग उन की सेवा नही करते ओर ना ही उन का आदर सममान करते उस गांव के लोगो को आशिर्वाद देते की तुम यही बस्ते रहो।
जिस गांव के लोगो ने गुरुनानक देव जी का आदर ओर सेवा की होती उस गांव के लोग गुरुनानक देव जी को अपनी नाराजगी जाहिर करते की बोलते की हम से आप की सेवा करने मे कोई कमी रह गई है जो आप ने गांव के लोगो को आशिर्वाद देने के बजाए शराप दिया की आप सब गांव वाले उजड जाऊ यानी अलग-अगल हो जाए ओर जिस गांव के लोगो ने आप की सेवा नही की ओर ना ही आप को आदर सम्मान दिया आप ने उन को आशिर्वाद दिया की आप बस्ते रहो।
गुरुनानक देव जी ने बडे शान्तिपूर्वक ढंग से सेवा,आदर सम्मान करने वाले गांव के लोगो को समझाया की आप सब मे एक दुसरे के लिए प्यार है , ज्ञान है ओर समर्था है,आप सब बुध्दिजीवी हो अगर आप सारे अलग-अगल गांव, शहरो ओर देशो मे बस जाएगे तो आप सारे संसार मे प्यार, ज्ञान समर्था बांट सकते हो इस लिए आप को बोला था की आप सारे उजड्ड जाए, गुरुनानक देव जी ने कहा की जिस गांव के लोगो ने ना तो सेवा की ओर ना ही आदर सम्मान दिया उस गांव के लोगो को बस्ते रहो का आशिर्वाद इस लिए दिया की यह गंदे लोग है इन मे एक दुसरे के लिए ना तो प्यार हे ना ही सत्कार यह अगर किसी दुसरे शहर, गांव या देश मे जाएगे तो सभी जगह का माहौल बिगाड देगे इस से बेहतर यह इसी गांव मे बसे रहने का आशिर्वाद दिया था ,गुरुनानक देव जी की यह बात सुनकर कर सभी दंग रह गए की गुरुनानक देव जी बहुत दुर की सोच रखते है।
दुनिया के हर शहर मे आज जो गुरदवारो मे लंगर का भंडारा चल रहा है वह गुरुनानक देव जी की देन है जो तकरीबन 537 सालो से चल रहा है ओर यह मात्र 20 रूपए से गुरुनानक देव जी द्वारा चालू किया गया था ओर यह लं
गर जब तक चलता रहेगा जब तक मानवता है।
धन्यवाद
जगजीत सिंह मुदड़
https://youtu.be/sXWG4af_pTE