
सावित्री बाई

तामील को ले बाई में
कमाल ए जुनून था
रगो में दौड़ता उनके
शिक्षाक्रांति ख़ून था।
पंक भरे लिबास पर
कोई मलाल नहीं था
जहन में शिक्षा अलख
के,नहीं कोई सवाल था
शोलो भरी राह से
माता आप गुजर गई।
ख़ामोश रहकर कार्य
अव्वल दर्जे का कर गई।।
जिंदगी इस मुल्क की
औरतों की संवार गई।
तकलीफ़ मिटा उनकी
दामन में सुखन भर गई।।
तकलीफों भरी थी राहगुज़र
आफत- ए- दिं झेलती रही
शिक्षा मशाल ले राष्ट्रमाता
पथ पर मुसलसल चलती रही।
ज्जबाती,घाती हमले कर
तुमने जीना था दुश्वार किया
शिक्षित कर उनकी स्त्रियों को
बाई ने मुंह तोड़ ज़वाब दिया
ख़्वाब स्त्रियों की शिक्षा का
माता आपने हक़ीक़त किया
तुम्हें सम्मान दिलाने का माता
तेरी पीढ़ियों ने है प्रण लिया।।
हुई जनानी कौम के लिए आई
तुम बहुत दर्द _ए_बिस्मिल
कष्ट सह हम सबके हिस्से के
किया तामील मद्दुआ हासिल।

डॉ. राजकुमारी
हिंदी प्रवक्ता